Nidhi Saxena

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वो लौट आया

विषय : वो फिर लौट आया

रूप : कविता

सर्द हवाओं का मौसम आया है
अहसास किसी का अपने साथ लाया है 
इन ठंडी ठंडी हवाओं के साथ
जैसे किसी का पैगाम लाया है 
उसकी यादों पर जैसे 
कोई कोहरे की चादर छा सी गई है 
उस चादर का परदा हटाने 
फिर कोई आया है ।।
आंखो के सामने से 
एक सड़क जाती तो है ,
लेकिन कोहरे में दिखती नही
उसी राह पर हाथ पकड़
चलाने वो फिर लौट आया है 

इस सर्द मौसम में 
महसूस होती है आज भी 
उसकी सांसों की गर्मी 
उन्ही सांसों से फिर रूबरू कराने
वो लौट आया है।

चला गया था 
जो बरसों पहले 
साथ हमारा छोड़ कर
फिर से साथ निभाने 
वो लौट आया है ।
मेरी यादों के पटल से 
कोहरे का परदा हटाने आया है 
इस सर्द मौसम में वो लौट फिर आया है ।

मेरी यादों के पटल से 
जैसे फिर से सुनहरी धूप झांकी है 
और बिताए उसके साथ 
सुनहरी धूप में चाय की चुस्कियों के वो पल
याद दिलाने शायद फिर वो आया है ।
सर्द मौसम फिर वो अपने साथ लाया है ।

बिसरा दी थी जो उसकी याद भी 
वो यादों के झरोखे अपने साथ लाया है 
वो आगोश में समेटने शायद फिर लौट आया है 
ठंडी ठंडी हवाओं के साथ वो फिर लौट आया है ।
क्योंकि सर्द मौसम फिर लौट आया है ।

      नीर( निधि सक्सैना)











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2 Comments

Sachin dev

22-Dec-2022 06:45 PM

Well done

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Gunjan Kamal

21-Dec-2022 11:17 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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